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“सब्र का फल मीठा होता हैं।”
तो दोस्तों आपने इस मुहावरे को जरूर सुना होगा। चलिए आज हम इस कहानी में जानते हैं क्या होता है। इस कहानी में बताया गया है कि तारों को कैसे ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता है और श्री नारद मुनि उनको कैसे इस मुहावरे का अर्थ समझाते हैं। यह अत्यधिक सुंदर और प्रेरणादायक कहानी है।
जब सूरज अस्त हो रहा होता है तब हल्की-हल्की संध्या से उत्पन्न होती है और चारों तरफ शांत वातारण जैसा एक अंधेरा सा छा जाता है। सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षी अपने निवास स्थान को जाने लगते हैं और हल्की हल्की हवा चलने लगती है। हम जब आसमान की ओर देखते हैं तो सूर्य अस्त होता रहता है तभी आसमान में तारे टिमटिमाने लगते है।
कुछ तारे अत्यधिक चमकीले होते हैं परंतु कुछ कम चमकीले होते हैं। अधिक चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर जल्दी पहुंचती है परंतु कम चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर बहुत कम ही जाती है। इसलिए हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते और उनकी सुंदरता फीकी पड़ जाती है।
परंतु उन सब में से एक ऐसा तारा होता है, जो अधिक चमकीला होता है। जिसके आने से पूरा आसमान जगमगा जाता है। वह इतना सुंदर और चमकीला होता है कि उसके जगमगाते ही लोगों के चेहरे पर खुशी आ जाती है, उसे हम स्वाति नक्षत्र के नाम से जानते हैं। अत्यधिक चमकीला और सुंदर होता है, जिसके आने से लोग खुश हो जाते हैं। इसीलिए बाकी के नक्षत्र स्वाति नक्षत्र से इर्ष्या करते हैं और अपनी इस ईर्ष्या की कथा को श्री नारद मुनि को बताते हैं।
नारद मुनि उन सभी तारों को समझाते हुए कहते हैं कि देखो जो भी सब्र करता है, उनकी कीर्ति संसार में होती है और मुझे प्रतीत होता है कि आप लोगों में धैर्य नहीं हैं। इसीलिए आप लोग संध्या काल में होते ही तुरंत जगमगाने लगते हैं। लेकिन स्वाति नक्षत्र अत्यधिक समय के बाद आसमान में निकट आता है तभी उसकी प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक होती है।
तभी सभी लोग के चेहरे पर मुस्कान आती। इसीलिए कहा जाता है कि हमें सब्र करना चाहिए क्योंकि उसका फल मीठा होता है। यदि तुम देर में आसमान में टिमटिमाते होते तो तुम्हारा भी महत्व होगा और तुम्हें भी लोग अलग नाम से जानेंगे। नारद मुनि द्वारा समझाई गई बात सभी तारों को समझ में आ गई।
सब्र का फल मीठा होता है, यह बात हम सब जानते हैं और इसे हम लोगों ने महसूस भी किया है। मैं हमेशा अपने कार्य को पूरा करने के बाद उसके परिणाम के इंतजार में उतावला हो जाता हूं या फिर अपने आने वाले कार्य को पूरा करने के लिए उतावला हो जाता हूं, जिससे मेरा आने वाला कार्य बिगड़ जाता है। परंतु मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे सब्र करना चाहिए। उस परिणाम का या उस आने वाले कार्य का जिससे मैं उस कार्य को अच्छे से समाप्त करूं और उसका परिणाम भी अच्छा हो।
हम जानते हैं जल्दी में लगाया हुआ निशाना हमेशा अपने गोल से बाहर जाता है। हमें धैर्य पूर्वक उस निशाने को भेजना चाहिए तभी हमें जीवन में सफलता मिलेगी। हमें किसी भी कार्य को धैर्यपूर्वक करना चाहिए तभी सफलता के दरवाजे खुलते हैं।
धैर्य ही ऐसा शस्त्र है, जो विकट परिस्थितियों में मनुष्य के मस्तिष्क का संतुलन बनाए रख सकता है और उसको आगे आने वाली चुनौतियों को से निपटने के लिए नए मार्ग को बतला सकता है। बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुषों के द्वारा भी बताया गया है कि हमें भी किसी कार्य में सफलता पानी है तो उसे चिंता मुक्त होकर करना चाहिए और सब्र रखना चाहिए परिणाम का सफलता अवश्य मिलेगी।